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उपराष्ट्रपति ने नागरिकों को प्रभावित करने वाले मानवाधिकार संबंधी कुछ मुद्दे पर आत्ममंथन की जरुरत पर जोर दिया

मानवाधिकार दिवस पर अपने संबोधन में उपराष्ट्रपति श्री एम. हामिद अंसारी ने कहा कि हमारे नागरिकों को प्रभावित करने वाले मानवाधिकार संबंधी कुछ मुद्दे पर आत्ममंथन करने की जरुरत है।

उन्होंने कहा कि हम इस बात से गौरवान्वित हैं कि हमने एक राष्ट्रीय उत्तरदायित्व के रुप में मानवाधिकारों के संरक्षण और संवर्द्धन के लिए न्यायपूर्वक आवश्यक बौद्धिक, वैधानिक और संस्थागत कार्यक्रम लागू किये हैं। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग द्वारा आज यहां आयोजित मानवाधिकार दिवस कार्यक्रम में मानवाधिकार और मानवीय त्रुटियां के बारे में श्री अंसारी ने कहा कि मानवाधिकार के वास्तविक कार्यान्वयन के बारे में निरंतर सवाल उठ रहे हैं। व्यापक तौर पर इसके उल्लंघन हो रहे हैं और धर्म, जाति, भाषा, प्रजाति, नस्ल, कार्य, मत और आर्थिक स्थिति के आधार पर जो भेद-भाव हो रहे हैं वे व्यवधानकारी हैं। ये उल्लंघन राज्य की एजेंसियों द्वारा, व्यक्तियों द्वारा और समूहों द्वारा अधिकारों की उपेक्षा से संबंधित हैं। कमजोर पक्ष लगातार पीड़ित हो रहे हैं।

उपराष्ट्रपति ने कहा कि राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की वार्षिक रिपोर्ट में ऐसी घटनाओं के विवरण के साथ ही सुधार संबंधी कार्रवाई का भी विवरण दिया जाता है। उल्लंघन की घटनाओं की प्रकृति और उसके परिमाण चिंता के कारण हैं। उन्होंने कहा कि सरकारी एंजेसियों के अनुमान और धरातल पर वास्तविक स्थिति के बीच अंतर है। एक शक्तिशाली लोकतंत्र के रुप में हम अपने संविधान और उसमें शामिल सिद्धान्तों, अधिकारों और कर्तव्यों के द्वारा निर्देशित होते हैं। हम अपनी अंतर्राष्ट्रीय प्रतिबद्धताओं से भी बंधे हुए हैं। अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार कानून और इसके प्रावधानों के लिए हमारे संवैधानिक सिद्धान्तों में महत्वपूर्ण स्थान है और हम एक राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय दोनों ही उत्तरदायित्व के रुप में सिद्धान्त और व्यवहार के बीच के अंतर में कमी लाने के लिए बाध्य हैं।

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